सभी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के लिए एक बहुत बड़ी दुविधा होती है छात्रों की उत्तर पत्रिकाओं का मूल्यांकन करना । यह प्रक्रिया तब और कठिन हो जाती है जब छात्रों की संख्या ज्यादा हो और उनके विषय अलग – अलग हो ।
ऐसे समय मे प्रशासन के लिए उत्तर पत्रिकाएँ संभालना एक बहुत कठिन कार्य साबित होता है । ऐसे वक्त मे ग़लतियों की संभावना भी बढ़ जाती है । यह प्रशासन की एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है कि उन्हें सभी उत्तर पत्रिकाओं को एक जगह पर सुरक्षित रूप से रखना होता है । उन सभी उत्तर पत्रिकाओं को उनके पाठयक्रमों (courses) के हिसाब से अलग – अलग कर के जमाना पड़ता है । यह पूरा काम हाथ से , मैन्युअली किया जाता है । इस वजह से इस पूरे कार्य मे चूक होने की संभावना बहुत होती है। ऐसे वक्त मे उत्तर पत्रिकाओं को रखने का स्थान भी एक बहुत बड़ी बाधा साबित होती हैं ।
शिक्षकों को निर्धारित स्थान पर जा कर पत्रिकाओं का मूल्यांकन करना पड़ता है । इसलिए यदि हजारों पत्रिकाओं का मुल्यांकन करना हो तो लगभग १०० – १५० शिक्षकों को एक स्थान पर पहुंच कर सभी पत्रिकाओं का मुल्यांकन एक सुरक्षित तरीके से करना पड़ता है । इस पूरे कार्य मे बहुत समय लग जाता है और साथ – साथ बहुत ख़र्चा भी होता है।
इसके अलावा बहुत बार छात्र अपनी उत्तर पत्रिका देखने की भी माँग करते है । ऐसे वक्त में यदि पारंपरिक तरीका अपनाया जाए तो एक आदमी को हज़ारों पत्रिकाओं मे से उस एक पत्रिका को ढूंढ के निकालना पड़ता है । उसके बाद उस पत्रिका की फोटोकॉपी करा के छात्र तक पहुँचाई जाती है । इस विधि मे बहुत समय लग जाता है।
पारंपरिक पद्धति मे हर छात्र की पहचान छुपाना बहुत ज़रुरी होता है । किंतु यह काम बहुत ही सक्षम रूप से एक – एक पत्रिका के साथ करना पड़ता है जिसमे बहुत वक्त लग जाता है ।
ऑनस्क्रीन मूल्यांकन की प्रक्रिया पारंपरिक प्रक्रियाओं की बहुत झंझटो को खत्म कर देती है । ऑनस्क्रीन मूल्यांकन के कुछ फायदे नीचे दिए गए है ।
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१. उत्तर पत्रिकाओं की स्कैनिंग (Scanning) :
इस प्रक्रिया मे सबसे पहले उत्तर पत्रिकाएँ स्कैन की जाती है । इस प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा का ध्यान रखा जाता है और विद्यार्थी की पहचान मास्किंग प्रोसेस (masking process) द्वारा छुपा दी जाती है । फिर पत्रिकाओं को क्लाउड (Cloud) पे सेव ( Save ) किया जाता है ।
इस वजह से शिक्षक पत्रिकाओं की डिजिटल कापी (copy) अपने घर मे से भी जांच कर सकते है । उन्हें किसी और स्थान पर जाने की जरूरत नहीं पड़ती । इस वजह से समय और पैसे दोनो की बचत होती है। पत्रिकाओं पर लगे बारकोड और हाई – स्पीड स्कैनर (high-speed scanner) द्वारा छात्र की पहचान करना भी बहुत सरल हो जाता है। किंतु यह सिर्फ प्रशासन द्वारा किया जा सकता है, शिक्षकों द्वारा नही ।
२. उत्तर पत्रिकाओं का मूल्यांकन:
इस प्रक्रिया में स्थान की कोई बाधा नहीं होती । शिक्षक किसी भी स्थान से लॉग – इन ( log in ) करके पत्रिकाओं का मूल्यांकन कर सकते है। लॉग – इन करने की प्रक्रिया भी बहुत ही सुरक्षित और सरल है।
यह प्रक्रिया बहुत ही कुशल साबित होती है क्योंकि इसमे टेक्नोलॉजी (technology) का उपयोग होता है और पत्रिकाओं को मैन्युअली (manually) नही संभालना पड़ता । इस प्रक्रिया की वजह से लौजिस्टीक (logistic) खर्चे और शिक्षकों के यात्रा के खर्चे भी खतम हो जाते है ।
पत्रिकाओं मे अंको की गिनती भी सिस्टम ( System ) खुद ही कर देता है। इसलिए शिक्षकों को अंको का हिसाब रखने की आवश्यकता नहीं होती ।
यदि प्रश्न पत्रिका में वैकल्पिक प्रश्न हो तो भी सिस्टम अंको की सटीक तरह से गिनती कर पाता है । सिस्टम उनही अंको को गिनता है जो सबसे ज्यादा हो। इस प्रक्रिया के द्वारा शिक्षक ५ से १० मिनट तक का आकलन करने का समय बचा सकते हैं ।
३. परिणाम की घोषणा :
यह काम भी सिस्टम अपने आप ही कर लेता है । इस वजह से मार्कशीट (marksheet) तुरंत ही तैयार हो जाती है। इस प्राक्रिया से हर विषय के अंक मैन्युअली सॉफ्टवेयर (software ) मे नही डालने पडते है।
इस प्रक्रिया मे परिणाम को एक्सेल (excel) मे एक्सपोर्ट (export ) करने की सुविधा भी है । इस प्रक्रिया की वजह से परिणामों की घोषणा जल्दी हो पाएगी और खर्चा भी बच जाएगा।
जब महाविद्यालयों को एक सिमित समय में परिणामों की घोषणा करनी हो, तो यह प्रक्रिया बहुत ही फायदेमंद साबित होती है। इस प्रक्रिया से समय की बहुत बचत होती है और एक बटन (button) दबाते ही एक छात्र या सामुहिक छात्रों का परिणाम प्रस्तुत हो जाता है।
४. छात्राओं द्वारा उत्तर पत्रिका की माँग:
ऐसी स्थिति मे छात्रों की माँग सॉफ्टवेअर सिस्टम द्वारा बहुत आसानी से पूरी की जा सकती है।
कई महाविद्यालयों के नियमों के मुताबिक छात्र अपनी पत्रिकाओं को देखने की माँग कर सकते है । यह पत्रिका देखने के लिए उनको कुछ शुल्क भरना पडता है।
जब यह होता है तो महाविद्यालय प्रशासन को हज़ारों पत्रिकाओं मे से उस एक पत्रिका को ढूँढना पडता है। फिर उस पत्रिका की फोटोकापी तैयार करके छात्र तक पहुँचानी पड़ती है । इस प्रक्रिया में बहुत समय और प्रयास लगता है ।
ऑनस्क्रीन मूल्यांकन की प्रक्रिया द्वारा यह काम मिनटों मे संभव है। टेक्नोलॉजी की सहायता से छात्र बहुत आसानी से अपनी उत्तर पत्रिका देख सकते है । प्रशासक द्वारा ‘व्यूह राईट्स’ (view rights) देने पर छात्र ऑनलाइन ही पत्रिका देख सकते है । इस वजह से एक बहुत लंबा काम बहुत ही कम समय मे करना संभव है।
५. उत्तर पत्रिकाओं का पुर्वमुल्यांकन:
कई बार छात्रों की माँग पर उनकी उत्तर पत्रिकाओं का पुर्वमुल्यांकन किया जाता है । ऑनस्क्रीन मूल्यांकन द्वारा यह कार्य बहुत ही आसानी से मुमकिन है । इससे परिणाम भी बहुत कम समय मे मिल जाता है ।
पारंपरिक प्रक्रिया मे मोडरेटर ( Moderator) फिर से उत्तर पत्रिकाओं का आकलन करते है। उन्हें शरु से पुरा आकलन करना पड़ता है । यदि अंको मे फर्क निकले तो नए अंको की एन्ट्री करनी पडती है । इस प्रक्रिया मे बहुत समय लगता है और यह लंबी भी होती है । इसमें गलती की संभावना भी बहुत होती है।
यदि हम ऑनस्क्रीन मूल्यांकन की प्रक्रिया का इस्तेमाल करे तो यह काम बहुत ही कम समय मे और सटीक तरह से हो सकता है।
ऑनस्क्रीन मूल्यांकन की प्रक्रिया एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो आने वाले कल मे बहुत ही सहायक साबित होगी। इस प्रक्रिया मे इतनी क्षमता है कि यह शिक्षकों का काम बहुत आसान कर सकती है जिस वजह से वह और ज्यादा कुशलता से अपना काम कर पाएँगे और कुशलतापूर्वक अपनी ज़िम्मेदारी निभा पाएँगे। इस प्रक्रिया की वजह से प्रशासन का काम भी आसान हो जाएगा और वे अपना काम को कम समय मे पूरा कर पाएँगे।
इन सब की वजह से ऑनस्क्रीन मूल्यांकन की प्रक्रिया बहुत ही लाभदायक और किफायती है।